परचे देना (चमत्कार )

संत लिखमीदास बाबा रामदेव के परम भक्त अनुयायी थे जिसके कारण इनकी भक्ति में अलौकिक शक्ति निहित थी। आपने अनुयायियों को समय-समय पर चमत्कार (परचे) द्वारा साक्षात करवाया। इनके परचों की कथाएँ एवं घटनाएँ जन मानस में आज भी सत्यपुष्ट एवं प्रचलित है। इनके द्वारा दिये गये कुछपरचे (चमत्कार) निम्न है:-

* जोधपुर के राजा भीम सिंह की ऑडीट ठीक करना।

* झुंझाला में गुसाँईजी के मंदिर का ताला बिना चाबी के ही अपनी वाणी से खोल देना।

खेत में पाणत एवं सतसंग में भजन हेतु दोनों जगह साक्षात उपस्थित रहना।

अहमदाबाद में मुल्ले को दर्शन देनां

जैसलमेर में मृत बच्चे को जीवित करना।

इनके परचे अथवा चमत्कार न सिर्फ मारवाड़ बल्कि समूचे भारत में विख्यात है। जिनका साक्षात अनुभव लोगों ने किया है। इन्होंने सामाजिक समरसता के सन्देश देते हुए, मेघवाल, ब्राह्मण, साद, कुम्हार सहित अनेक जातियों में भेदभाव कम कर साम्प्रदायिक सौहार्द स्थापित किया।